पॉपकॉर्न-कारों जैसे चीज़ को खरीद के दुबारा से भेचने पर जीएसटी देना होगा जिससे मध्यमवर्ग के लोग परेशान

कौंसिल की बैठक में जीएसटी पर लिए गए फैसलों से देश के सभी मध्यवर्ग के लोगो को हो रही परेशानिया वित्तमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया पर तरह तरह के विडोयो और कमेंट किये जा रहे लोगो का कहना है. की इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि बहुत से बहुप्रतिक्षित फैसले नहीं होने से लोगों में नाराजगी बनी हुई है. पर ऐसा भी है की बहोत से फैसलों को सही से समझा नहीं जा रहा है|

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जीएसटी

(वित्त मंत्री) निर्मला सीतारमण का कहना है कि जीएसटी ने जरूरत की सामानों पर टैक्स नहीं लगाया है। जीएसटी से पहले राज्यों के पास {VAT} मतलब (वैल्यू एडेड टैक्स) और उत्पादन शुल्क जैसी अपनी इंतज़ाम थी।

इस लिए यह सोचना गलत है कि जीएसटी के चलते ही आपके साबुन, तेल और कंघी पर टैक्स लगा है। मैं अधिकार के साथ कह सकता हूं कि जीएसटी के बाद इन सभी छोटे-बड़े प्रोडक्ट्स पर लगने वाला टैक्स कम हुआ है।

जीएसटी ने टैक्सेशन को बहोत आसन किया

जीएसटी ने तरह-तरह का टैक्सों को एक साथ किया, जिस से टैक्सेशन सरल और देश भर में एक जैसे किया गया। वित्त मंत्री ने सूचित किया गया की कुछ लोग टैक्स में छूट नहीं चाहते हैं, इसलिए मैंने आसान टैक्सेशन की इंतज़ाम इंट्रोड्यूस की।

जीएसटी

हम बहुत आधिक करना चाहते हैं लेकिन हमारी भी सीमाये हैं

अच्छे और सेवा टैक्स यानी जीएसटी और गरीब और लचार लोगो पर इसके बढ़ते बोझ पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उनकी सरकार ने टैक्स सिस्टम को निष्पक्ष और आसान बनाने के लिए कई सार्थक प्रयास किए हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ‘देश के लोगों के लिए हम और भी बहुत कुछ करना चाहते हैं। लेकिन हमारी भी सीमाएं हैं।’

अगर मैं बताना चाहूं तो लोग कहेंगे- वित्त मंत्री ने हिम्मत कैसे की

वित्त मंत्री का कहना है, कि टैक्स सिस्टम को आसान करने के लिए मैं (न्यू टैक्स रिजीम) लेकर आए। इससे टैक्सेशन को बहोत ही सरल और आसान बनाया जा सकता है और टैक्सपेयर्स को कई प्रकार की छूट भी मिल जाती है। लेकिन तक़रार और आलोचना के इसे समझाना कठिन है। लोग बोलेंगे वित्त मंत्रीका हिम्मत कैसे किया?

काफी लेट से जीएसटी जानना मिनिस्टर, समझाने में कमी हुई

कुछ राज्यों में कार खरीदना सस्ता पड़ता था, हलाकि अन्य राज्यों में यह काफी महंगा पड़ता था। जीएसटी काउंसिल का गठन टैक्स में यूनिफॉर्मिटी के लिए किया गया था। इसमें शामिल मिनिस्टर्स ने इसे समझने में काफी समय लिया।

यह सोचना गलत है कि जीएसटी से पहले ये सभी छोटे-बड़े प्रोडक्ट्स टैक्स फ्री थे। अब इनपर टैक्स लगाया जा रहा है।

सरकार को 2025 के बजट में टैक्स कम करने का दबाव

वित्त मंत्री की तरफ से ये चर्चा ऐसे समय में आएं हैं जब बजट वित्त 2025-26 वर्ष का आने वाला है और टैक्स में कम करने की मांग जोर पकड़ रही है। जुलाई-सितंबर 3 महीने में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट घटकर 5.4% रह गई, जो पिछले दो साल में सबसे कम है।

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One thought on “पॉपकॉर्न-कारों जैसे चीज़ को खरीद के दुबारा से भेचने पर जीएसटी देना होगा जिससे मध्यमवर्ग के लोग परेशान

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